कहो कहाँ घुमने गए थे आनंद ।
कौन सी मंजिल चूमने गए थे आनंद।
डूबे हैं तुम्हारी थाह में कितने।
तुम कौन से सागर में डूबने गए थे आनंद।
आज में बैठे बैठे कल और परसों ।
क्या उसके दर भी घुमने गए थे आनंद।
दिन का उजाला भर के अँधेरी रात में
कौन सा ख्वाब ढूंढने गए थे आनंद।
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
जवाब देंहटाएं