Akela Hi Sahi
मंगलवार, 3 अगस्त 2010
सत्य
जीवन निर्वाद सत्य है , सपना नहीं ।
कहने को सब अपने हैं, कोई अपना नहीं।
मैंने लिख दिए जो मेरे ज़ज्बात हैं।
कोई रचना नहीं।
लब्ज़ अच्छे हैं, तुकबंदी अच्छी है।
सबके लिए यही कविता है।
शब्दों के बीच क्या है?
कोई समझता नहीं।
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