Akela Hi Sahi
मंगलवार, 24 अगस्त 2010
सब टके के मोल बिकने लग गए ।
अब कलम में भी बगावत न रही ॥
अपनी किसी से अब रही न दोस्ती ।
और किसी से भी अदावत न रही।
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