शनिवार, 24 नवंबर 2012

mil jaata hai apna vajood ek din khud ko banate - mitate rahna


mil jaata hai apna vajood ek din 
khud ko banate - mitate rahna 

c@anand Rathore

मंगलवार, 20 नवंबर 2012

बोलती तन्हाई


खामोश  तकिया  , उदास  रजाई  
गुमसुम  कमरा  , बोलती  तन्हाई 
नींद  का  टुकड़ा  फिर  से  टूटा  
तेरी  आहट मुझको  आई .

c@anand rathore

बकवास करना आदत हो गयी है

जैसा हम सब चाहते हैं कि सब हमारी भावनायों का सम्मान करें. तो हमे भी दूसरों कि भावनायों का सम्मान करना चाहिए. हमारे देश में दुश्मन के मातम में भी शोक व्यक्त करने कि परंपरा रही है. सब भेद भाव भुला के दुश्मन के दरवाज़े पहुँच जाते हैं लोग. इंसानियत भी यही है. लेकिन आज ये देख कर दुःख होता है , कुछ लोग मौत का उत्सव मना रहे हैं और अपने अहंकार में फुले जा रहे हैं. ये उनकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है. उनके साहस को नहीं. उन् में और ऐसे लोगों में कोई अंतर नहीं है जो उन्माद फैलाते हैं. 

हम अगर अपना साधू स्वाभाव छोड़ कर ऐसे काम करेंगे तो हम में और घटिया सोच के लोगों में कोई फर्क नहीं हो सकता. ऐसा ज़रूरी नहीं बहुत से नेता , अभिनेता , कौम , धर्म , मित्रों से हमारे विचार मिले. मतभेद होने का अर्थ नहीं आप किसी को गाली दें या उसकी मौत का जशन मनाये. सम्मान चाहिए तो सम्मान देना सीखो. 

भीड़ से डर के हमने दुकाने बंद की , हमने दरवाज़े बंद किये , फिर इलज़ाम भीड़ पर क्यूँ? वहज आपका डर है. आप अपना काम करते और अगर कुछ गलत होता तो आप बोलने के हक़दार होते . सवाल ये है , कि क्या आप अपने घर से निकले ? नहीं . क्यूंकि पहल आप नहीं करना चाहते . चाहते हैं कोई और आये. आप सिर्फ कमरे में बैठ के बड़ी बड़ी बातें करना जानते हैं . फेसबुक अपडेट करना जानते हैं. 

बकवास करना आदत हो गयी है. बेकार कि चर्चा करना आदत हो गयी है. मीडिया के पास कुछ ढंग का है नहीं , उसे कुछ न कुछ चाहिए बकवास करते रहने के लिए , और सबको सुनने के लिए.