शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

Jo nahi jaanta 5 rupye ki kimat Wo mere desh ke shighasan pe baithne ka haq nahi rakhta…


Kichad se hota huya wo 2 kilometer chal ke
bus stop be pahunchta hai.
Paseene se ladfad
jeb mein haath dalta hai..muskurata hai ..5 rupye bachcha liye.
AC ki bus mein 25 rupye kiraya hai..
15 minute khada rahta hai dusri bus mein 20 rupye kiraya hai
Der se office pahunchta hai..
boss dandta hai.. wo jeb pe haath rakh ke muskrurata hai.. 5 rupye bacha liye
Dopahar ko ek roti kam khata hai..
pet pe haath rakh ke muskurata hai- 5 rupye bacha liye
Dost ki khusamad karta hai.. aur (2.50 ) dhayi rupye.. sham ki chai ke aur bach gaye…
17.50- saadhe satra rupye bachahye hain aaj usne..
Aaj wo vada nibhayega…sham ko leke jaayega munne ki mithayi..
Aam aadmi ko itne kareeb se jo nahi janta…
Jo nahi jaanta 5 rupye ki kimat
Wo mere desh ke shighasan pe baithne ka haq nahi rakhta…

c@anand rathore

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

Chehre pe chehra


Chehre pe chehra.. ek do teen chaar.. anginit chehre…
kuch pahne huye hain… kuch rakhe huye hai…
jab jahan jaisi zarurat ..sabke liye hai ek chehra..
in chehron ke neeche daba  kho gaya asli chehra

c@anand Rathore

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

likh diya tera naam ………….aur uchaal diya pathar pani mein……………… wo doob gaya.............. ab ashta ka naam mat lena... ashta na hoti ……….to tera naam nahi likha hota...

c@anand rathore

रविवार, 5 अगस्त 2012

अन्ना का आन्दोलन विफल होने का अर्थ है , गाँधी की मौत !


आज गांधी का श्राद्ध कर देते हैं, नाथूराम ने तो गाँधी के शरीर को मारा था, आज गाँधी की आत्मा मर गयी है. ये लोग जो सत्ता में बैठे हैं, जो अपने आगे पीछे गाँधी लगा के बैठे हैं. इन लोगों ने गाँधी की उस सोच , उस विचारधरा में हमारे विश्वास को मार दिया. ये अहिंसा और सत्याग्रह , ये सोच ही तो असली गाँधी है. उसी को नकार कर, उसकी अनदेखी कर के आज इन्होने 
गाँधी को मार डाला.

अब चाणक्य की निति चलेगी. साम -दाम -दंड -भेद , सब चलेगा. ये डाल- डाल हम पात -पात होंगे.

राजनीती की राह इतनी आसान नहीं होगी. क्यूंकि इस देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ जात पात दिखाई देता है. फिर भी आशा है , अगर देश की सोती हुयी जनता एक बार भी जाग गयी , तो हमारी जीत होगी.

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

coming soon

RS Circle connects you to people who believe in Radhasoami faith around the world 

गुरुवार, 2 अगस्त 2012

अनसन नहीं अब रण होगा जंतर मंतर बहुत हुआ , अब अगला अड्डा परिलिअमेंट होगा .


अनसन नहीं अब रण होगा
जंतर मंतर बहुत हुआ , अब अगला अड्डा परिलिअमेंट होगा .

शनिवार को आन्दोलन से वापस आया तो अरविन्द केजरीवाल की हालत देख कर दुखी हुआ. सरकार की मनसा साफ़ झलक रही थी. बहुत सोचा और सोमवार को कुमार विश्वास को ये सन्देश भेजा . आज जंतर मंतर पर जो हुआ लगता है सब यही चाहते हैं और यही रास्ता भी बचा है. आप क्या राय रखते हैं , ज़रूर बताइए.

प्रिय कुमार विश्वास

अभी आन्दोलन के बारे में सोच रहा था की मुझे एक ख्याल आया, इन चोरों से इन्ही के खिलाफ क़ानून बनवाने की मांग ठीक वैसे ही है , जैसे भैंस के आगे बिन बजाना, ये डरेंगे , घबराएंगे , लेकिन करेंगे कुछ नहीं. फिर समाधान क्या है? इनका सफाया ही समाधान है . सत्ता से सम्पूर्ण रूप से इनका सफाया. और इसके लिए हमे २०१४ के चुनाव तक इंतज़ार करना पड़ेगा.

हमे थोड़ा गहराई से सोचने की ज़रूरत है और उसी हिसाब से निति बनाने की ज़रूरत है. मैं राजनीति में जाने के खिलाफ हूँ , लेकिन इस बात से इनकार नहीं करता की राजनीती में अच्छे लोगों का आना ज़रूरी है. अच्छे लोग होंगे तो जनता की सुनेगे. मान लीजिये २०१४ के चुनाव में कांग्रेस का सफाया भी कर दिया तो कोई और सरकार आएगी , वो हमसे डरेगी ज़रूर लेकिन कोई गारेंटी नहीं है की भ्रष्टाचार नहीं करेगी.
हमे रणनीति बनानी होगी , हमारा लहू पानी नहीं है जो बलिदान भी हो जाए और अंजाम तक भी न पहुंचे. मुझे पुरा यकीं है ये सरकार कुछ करने वाली नहीं है. आदमी कितना भी गिरा हो उसे आप कहें खुद फांसी का फंदा अपने गले में लगा ले , वो कभी ऐसा नहीं करेगा , फिर ये आदमी नहीं दरिन्दे हैं. इस तरफ टकराव की स्थिति आएगी और मुझे डर है जनता का नुकसान हो सकता है.

हमे इस दीप को जलाये रखना होगा २०१४ तक , इनके अंत की तैयारी करते रहनी होगी. चुनाव में इनका एक भी आदमी जितने न पाए . लेकिन हमे सुनिश्चित करना होगा , की इनकी जगह जो लोग चुन कर आयें , जो सरकार बने , अच्छी बने. इस तरफ हमे सोचने की ज़रूरत है. आज अनसन को ६ दिन हो गए. ये अन्दर से डरे हुए तो हैं , लेकिन कोई फैसला नहीं करेंगे . आप सब हमारे लिए बहुमूल्य हैं. देश के लिए बलिदान देने से मुझे डर नहीं , लेकिन हमारी लडाई गोरों से नहीं , काले अंग्रेजों से है. धूर्त , मक्कारों से है.. हमे चाणक्य निति की ज़रूरत है , नहीं तो हमारा बलिदान बेकार जाएगा. शहीद भगत सिंह के बम से अँगरेज़ दहले थे, लेकिन गाँधी जी के सोची समझी निति और सत्याग्रह आन्दोलन ने उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया. बलिदान की भावना होनी ज़रूरी है लेकिन विवेक के साथ हो तो कामयाबी ज़रूर मिलेगी.
हमे मिलकर सोचना होगा , और हर मोर्चे पर सबका विश्वास लेकर एक निति बना के काम करना होगा. कहीं गरम , कहीं नरम होना होगा . तभी हम कामयाब हो पायेंगे.

कृपया सोचियेगा और आपस में सब से विचार कीजियेगा , मेरी कभी भी कहीं भी ज़रूरत हो तो मैं हाज़िर हूँ .

शुक्रिया

आपका शुभाकांशी

आनंद राठौर
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