रविवार, 5 अगस्त 2012

अन्ना का आन्दोलन विफल होने का अर्थ है , गाँधी की मौत !


आज गांधी का श्राद्ध कर देते हैं, नाथूराम ने तो गाँधी के शरीर को मारा था, आज गाँधी की आत्मा मर गयी है. ये लोग जो सत्ता में बैठे हैं, जो अपने आगे पीछे गाँधी लगा के बैठे हैं. इन लोगों ने गाँधी की उस सोच , उस विचारधरा में हमारे विश्वास को मार दिया. ये अहिंसा और सत्याग्रह , ये सोच ही तो असली गाँधी है. उसी को नकार कर, उसकी अनदेखी कर के आज इन्होने 
गाँधी को मार डाला.

अब चाणक्य की निति चलेगी. साम -दाम -दंड -भेद , सब चलेगा. ये डाल- डाल हम पात -पात होंगे.

राजनीती की राह इतनी आसान नहीं होगी. क्यूंकि इस देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ जात पात दिखाई देता है. फिर भी आशा है , अगर देश की सोती हुयी जनता एक बार भी जाग गयी , तो हमारी जीत होगी.

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