मंगलवार, 8 जून 2010

अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो- क्यूँ?

लता जी का इंटरविउ देख रहा था । इतनी बुलंदी पर पहुँचने के बाद भी , मैं उनके मुह से ये बात सुन कर हैरान हुआ, की अगर उन्हें अगला जन्म मिले तो वो लड़की नहीं बनना चाहेंगी। बहुत सोचा, तो समझ आया , ये हम सबको सोचना होगा , की आखिर ऐसा क्यूँ?
अन्तरिक्ष की बुलंदियां छूने और समंदर की गहराईयाँ नापने के बाद ….दुनिया के बड़े से बड़े मुकाम को हासिल करने के बाद भी. ..क्या वजह है जो आज भी औरतें भगवान से प्रार्थना करती हैं ….कहती है ….कंकड़ की जो ..पत्थर की जो …अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो …क्यूँ ? इस सोच की वजह तलाशनी होगी …। दुनिया को चलने वाली इस शक्ति की इस पीड़ा की वजह को जानना होगा.

हज़ारों जहमते उठती …।
बर्तन धोती …घर बुहारती …
चारा काटती …इंधन जुटती .
सास ससुर के ताने सुनती .
वो मुस्कुराती है …..
उसके काम को काम नहीं समझा जाता …
उसके अस्तित्व का कोई वजूद नहीं …
अपने अधिकारों से वंचित ..
वो मुस्कुराती है …
हाँ ... ये बेटियां,ये
माँ ..ये बहन ..ये पत्नियाँ ...
ये औरत ...
इस जीवन का आधार ॥
सब कुछ सहते हुए ...ये हंसती हैं .
और ..इसीलिए बची हुयी है दुनिया ...
क्यूंकि ..ये हंसती हैं .

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्रभावशाली है आप का लेखन .
    'ये औरत ...
    इस जीवन का आधार ॥
    सब कुछ सहते हुए ...ये हंसती हैं .
    और ..इसीलिए बची हुयी है दुनिया ...
    क्यूंकि ..ये हंसती हैं'
    आपके शब्दों में गहराई है !
    साधु!

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  2. हाँ मुझे भी कहीं से लगता है, कि शायद मैं भी अगले जनम स्त्री न होकर पुरुष रूप में आना चाहुगी. शायद इसलिए भी कि जिंदगी के आधे पहलुओं को,जो नहीं देख पाई उसे जानने के लिए.

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