पंक्तियाँ सुन्दर हैं , कुछ जलने की बू भी आ रही है , थोड़ा और बढ़ाओ , लिखते लिखते उम्र के साथ साथ आप और अच्छा लिखने लग जाओगे । रहने लगे है बस अब माकन में। की जगह अगर ' रहने लगे हैं बस, दीवारों से घिरे मकान में ' लिखें तो ?
शुक्रिया.. अगली बार कोशिश करूँगा.. दरसल बात ये है.. मैं जब भी लिखता हूँ, ये सोच कर नही कि ग़ज़ल या कविता लिख रहा हूँ.. राह चलते..जागते- सोते ..कभी भी कहीं भी , जैसा एहसास होता है..तजुर्बा होता है लिख देता हूँ.. इसलिए शायद ऐसा होता है...
पंक्तियाँ सुन्दर हैं , कुछ जलने की बू भी आ रही है ,
जवाब देंहटाएंथोड़ा और बढ़ाओ , लिखते लिखते उम्र के साथ साथ आप और अच्छा लिखने लग जाओगे ।
रहने लगे है बस अब माकन में।
की जगह अगर ' रहने लगे हैं बस, दीवारों से घिरे मकान में ' लिखें तो ?
शुक्रिया.. आप के सुझाव के लिए आभारी हूँ. कोशिश करूँगा कि और अच्चा लिखूं.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिखा है ..दो शेर और जोडते तो मुक्कमल गज़ल हो जाती
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.. अगली बार कोशिश करूँगा.. दरसल बात ये है.. मैं जब भी लिखता हूँ, ये सोच कर नही कि ग़ज़ल या कविता लिख रहा हूँ.. राह चलते..जागते- सोते ..कभी भी कहीं भी , जैसा एहसास होता है..तजुर्बा होता है लिख देता हूँ.. इसलिए शायद ऐसा होता है...
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