शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

जनता की मांग न मानना तानाशाही है. लोकतंत्र नहीं

आदरणिय प्रधानमंत्री जी

आप से सीधा सा सवाल है. लोकपाल बिल मानने में समस्या क्या है? देश का हर नागरिक इस से सहमत है. फिर आप लोगों को किस बात का डर है ? वहां तो आप लोगों की वोटे भी नहीं कट रही? कोई भी कारण आप बता सकते हैं जिसकी वजह से आप इसे टरका रहे हैं? देश की जनता इतनी मूर्ख नहीं है , की अगर आप कारण बताएं और हम समझ न पायें. आप लोकपाल बिल न पास करने का एक उचित कारण बता दीजिये , हम अन्ना हजारे का साथ नहीं देंगे.. लेकिन हमे पता है... आप के पास कोई कारण नहीं है. माफ़ कीजियेगा इस से हमे यही सन्देश मिलता है, की आप भी भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं करना चाहते. हमे आपकी इमानदारी पर कोई शक नहीं है, लेकिन देश की जनता आप पर ऊँगली उठाने लगी है . इसकी वजह आपको तलाशनी होगी.. अन्ना हजारे की मांग जायज है और ये हम सबकी मांग है. जनता की मांग न मानना तानाशाही है. लोकतंत्र नहीं. .. जनता अगर नाजायज मांग करे तो बात समझ में आती है. उसे नहीं माना जाना चाहिए. लेकिन लोकपाल बिल में कुछ भी नाजायज नहीं है... ये जनता के हक में है..आप बस लोकपाल बिल न मानने की एक वजह भी बता दीजिये.?

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की असली स्वामी जनता है और उसके नाते मुझे आप और हर मंत्री -संत्री को हुकुम देने का अधिकार है.. फिर भी आपसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना है , कि जनता कि आवाज़ को पहचानिए ... आप जैसे ईमानदार प्रधान मंत्री से हमे आशाएं हैं. आशा है आप हमारे जज्बातों की कद्र करेंगे ..

आपका शुभाकंशी
आनंद राठोर
A drop of ink, makes million think

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