सोमवार, 31 दिसंबर 2012
शनिवार, 29 दिसंबर 2012
Tumhare so jaane se , humare jaag jaane se
Tumhare so jaane se , humare jaag jaane se
ye silsila thamne wala nahi hai.
vahsi napak darinda humare DNA mein bas chuka hai
usko maare bina kuch badlne wala nahi hai.
main jab ye likh raha hoon ,
kahin koi bekhauf darinda kisi damini ko dard de raha hoga.
humare beech hi mombati liye koi rapist naare laga raha hoga.
isi facebook par koi kisi ladki ki profile buri niyat se dekh raha hoga.
hum agar is niyat ko na maar paaye to kuch hone wala nahi hai.
jo maa baap apne beton ko insaan nahi bana sakte
jo apni betiyon ko devi se durga nahi bana sakte
wo bachche paida karne ka gunhaah na karne.
do pair ke janwar ka biological , physiological,
vikaas abhi poora nahi huya hai
Abhi poori tarah insaan banne ka safar lamba hai
Achcha hai to bura zarur hoga. insaan hai to haiwan zarur hoga
mere bhaiyon aur bahno , hume jagte rahna hoga..
iss haiwan ko marte rahna hoga...
haiwan dar ki bhasha samjhjt hai
isse dara ke rakhna hoga...
aur sike liye in darindo ko mrana hoga...
sare aam marna hoga.... humare buland iradon ki rasiyon pe latakna hoga.
damini tum pahli ladki nahi ho jiske saath ye huya hai
lekin meri prarthna hai
tum iss dharti ki aakhri ladki raho jisne ye dard saha hai.
tum jahan bhi ho dekhna tumhe insaaf zarur milega...
nahi mila to mujhe poora yakin hai qyamat nazdik hai.
c@anand rathore
ye silsila thamne wala nahi hai.
vahsi napak darinda humare DNA mein bas chuka hai
usko maare bina kuch badlne wala nahi hai.
main jab ye likh raha hoon ,
kahin koi bekhauf darinda kisi damini ko dard de raha hoga.
humare beech hi mombati liye koi rapist naare laga raha hoga.
isi facebook par koi kisi ladki ki profile buri niyat se dekh raha hoga.
hum agar is niyat ko na maar paaye to kuch hone wala nahi hai.
jo maa baap apne beton ko insaan nahi bana sakte
jo apni betiyon ko devi se durga nahi bana sakte
wo bachche paida karne ka gunhaah na karne.
do pair ke janwar ka biological , physiological,
vikaas abhi poora nahi huya hai
Abhi poori tarah insaan banne ka safar lamba hai
Achcha hai to bura zarur hoga. insaan hai to haiwan zarur hoga
mere bhaiyon aur bahno , hume jagte rahna hoga..
iss haiwan ko marte rahna hoga...
haiwan dar ki bhasha samjhjt hai
isse dara ke rakhna hoga...
aur sike liye in darindo ko mrana hoga...
sare aam marna hoga.... humare buland iradon ki rasiyon pe latakna hoga.
damini tum pahli ladki nahi ho jiske saath ye huya hai
lekin meri prarthna hai
tum iss dharti ki aakhri ladki raho jisne ye dard saha hai.
tum jahan bhi ho dekhna tumhe insaaf zarur milega...
nahi mila to mujhe poora yakin hai qyamat nazdik hai.
c@anand rathore
शनिवार, 24 नवंबर 2012
mil jaata hai apna vajood ek din khud ko banate - mitate rahna
mil jaata hai apna vajood ek din
khud ko banate - mitate rahna
c@anand Rathore
मंगलवार, 20 नवंबर 2012
बोलती तन्हाई
खामोश तकिया , उदास रजाई
गुमसुम कमरा , बोलती तन्हाई
नींद का टुकड़ा फिर से टूटा
तेरी आहट मुझको आई .
c@anand rathore
बकवास करना आदत हो गयी है
जैसा हम सब चाहते हैं कि सब हमारी भावनायों का सम्मान करें. तो हमे भी दूसरों कि भावनायों का सम्मान करना चाहिए. हमारे देश में दुश्मन के मातम में भी शोक व्यक्त करने कि परंपरा रही है. सब भेद भाव भुला के दुश्मन के दरवाज़े पहुँच जाते हैं लोग. इंसानियत भी यही है. लेकिन आज ये देख कर दुःख होता है , कुछ लोग मौत का उत्सव मना रहे हैं और अपने अहंकार में फुले जा रहे हैं. ये उनकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है. उनके साहस को नहीं. उन् में और ऐसे लोगों में कोई अंतर नहीं है जो उन्माद फैलाते हैं.
हम अगर अपना साधू स्वाभाव छोड़ कर ऐसे काम करेंगे तो हम में और घटिया सोच के लोगों में कोई फर्क नहीं हो सकता. ऐसा ज़रूरी नहीं बहुत से नेता , अभिनेता , कौम , धर्म , मित्रों से हमारे विचार मिले. मतभेद होने का अर्थ नहीं आप किसी को गाली दें या उसकी मौत का जशन मनाये. सम्मान चाहिए तो सम्मान देना सीखो.
भीड़ से डर के हमने दुकाने बंद की , हमने दरवाज़े बंद किये , फिर इलज़ाम भीड़ पर क्यूँ? वहज आपका डर है. आप अपना काम करते और अगर कुछ गलत होता तो आप बोलने के हक़दार होते . सवाल ये है , कि क्या आप अपने घर से निकले ? नहीं . क्यूंकि पहल आप नहीं करना चाहते . चाहते हैं कोई और आये. आप सिर्फ कमरे में बैठ के बड़ी बड़ी बातें करना जानते हैं . फेसबुक अपडेट करना जानते हैं.
बकवास करना आदत हो गयी है. बेकार कि चर्चा करना आदत हो गयी है. मीडिया के पास कुछ ढंग का है नहीं , उसे कुछ न कुछ चाहिए बकवास करते रहने के लिए , और सबको सुनने के लिए.
हम अगर अपना साधू स्वाभाव छोड़ कर ऐसे काम करेंगे तो हम में और घटिया सोच के लोगों में कोई फर्क नहीं हो सकता. ऐसा ज़रूरी नहीं बहुत से नेता , अभिनेता , कौम , धर्म , मित्रों से हमारे विचार मिले. मतभेद होने का अर्थ नहीं आप किसी को गाली दें या उसकी मौत का जशन मनाये. सम्मान चाहिए तो सम्मान देना सीखो.
भीड़ से डर के हमने दुकाने बंद की , हमने दरवाज़े बंद किये , फिर इलज़ाम भीड़ पर क्यूँ? वहज आपका डर है. आप अपना काम करते और अगर कुछ गलत होता तो आप बोलने के हक़दार होते . सवाल ये है , कि क्या आप अपने घर से निकले ? नहीं . क्यूंकि पहल आप नहीं करना चाहते . चाहते हैं कोई और आये. आप सिर्फ कमरे में बैठ के बड़ी बड़ी बातें करना जानते हैं . फेसबुक अपडेट करना जानते हैं.
बकवास करना आदत हो गयी है. बेकार कि चर्चा करना आदत हो गयी है. मीडिया के पास कुछ ढंग का है नहीं , उसे कुछ न कुछ चाहिए बकवास करते रहने के लिए , और सबको सुनने के लिए.
रविवार, 21 अक्टूबर 2012
meri kalam ,meri gazal ,mere hunar ki vajah kya hai.?
gumsum hai in dino dil , vajah kya hai
tu nahi hai vajah fir vajah kya hai..?
dil mein koi lehar nahi fir kyun
dhadkano mein kasak ki vajah kya hai?
kahte ho kisamat mein nahi hai milna
tumse milte rahne ki fir vajah kya hai?
jeena marna , marna jeena agar yahi sach hai
iss aane jaane ki fir vajah kya hai ?
khoye din..jaagti shab ka sabab kya hai
meri kalam ,meri gazal ,mere hunar ki vajah kya hai.?
c@anand rathore
शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012
टूटे -फूटे लोग मिले मुझे राहों में , चौराहों पे
टूटे -फूटे लोग मिले मुझे राहों में , चौराहों पे .
बुत्त बन के खामोश खड़े कुछ शहरों के चौराहों पे
बनने की चाहत में बिगड़े ..कुछ बन के बर्बाद हुए .
वक़्त के संग बनते - बिगड़ते …. बेदम खड़े दोराहों पे .
तेरा मेरा इसका उसका , जकड़े ख्वाइशों की जंजीरों में
लिबास लपेटे आज़ादी का .. मुझे गुलाम मिले चौराहों पे ..
भागता भगवान देखा , शैतान बना इंसान देखा
सच्चाई को सूली पे देखा हर गली चौराहों पे .
c@anand rathore
रविवार, 14 अक्टूबर 2012
बुधवार, 10 अक्टूबर 2012
kisaan ki zamene rahi banjar , filon mein nahren banti rahi.
kisaan ki zamene rahi banjar , filon mein nahren banti rahi.
besahara takte rahe garib, basakhiyan kagzon mein bant-ti rahi.
yaad rahe zimedaar jab jab khamosh rahe atyaachar huya
dhritrastra ki sabha mein dropadi ki aabru loot-ti rahi
syaahi ki ek boond laakhon dilon mein inqlaab laati hai
yahi soch main likhta raha , raat bhar kalam chalti rahi
desh ka khoon ab bhi na khaula to wo din door nahi
mujhe to door door tak tarqi - khushaali dikhti nahi.
c@anand Rathore
सोमवार, 8 अक्टूबर 2012
गुरुवार, 6 सितंबर 2012
ज़िन्दगी का पेड़
ज़िन्दगी का पेड़
मेरे घर के सामने एक पीपल का पेड़ है.
लेकिन इसे देखता हूँ तो लगता है
ये ज़िन्दगी का पेड़ है.
ये हजारों रंग बदलता है
ये इन्सान से कम नहीं , जो हालात के साथ बादल जाता है
उस पर जब हरी हरी पत्तियां भर जाती हैं
उसका यौवन खिल उठता है
जब उसके पास गुलरों की भरमार होती है
वो हवा में अठखेलियाँ करता है.
उसके पास आने वालों का मेला लगा रहता है.
हजारों राही उसकी छावं में आराम करते हैं..
सैकड़ो पंछी ,रंग बिरंगे
उस पे झूलते हैं ..उस से कुछ लेने को तत्पर दिखते हैं
दिन रात उसका साथ निभाते हैं.
पीपल का पेड़ सबको अपना समझ इतराता सा दिखता है.
आज सर्दियों में इसकी पत्तियां पिली पड़ गयी हैं.
एक हवा के झोंके के साथ सैकड़ो पत्तियां गिर जाती हैं.
जितना वह संवरा हुआ था, उतना ही उजड़ता जा रहा है
आज ठूंठ सा खड़ा है.. सुनी सुनी आँखों से घूर रहा है
मानो अतीत में हो , यादों के सिवा उसका कोई नहीं
आज उस पर एक भी पंछी नहीं है.
एक भी राही उसकी तरफ नहीं देखता
सब उसका साथ छोड़ चुके हैं
कोई नज़र भी आता है तो काम से ..
इस पेड़ को देख कर ज़िन्दगी का माने कितने करीब से समझ पाया
सभी इन्सान एक पीपल का पेड़ होते हैं
उसकी हरियाली में सब उसके पास होते हैं
उजड़ जाएँ जहान , गम झा जाए , तो सभी छोड़ जाते हैं.
C@Anand Rathore from school diary
मेरे घर के सामने एक पीपल का पेड़ है.
लेकिन इसे देखता हूँ तो लगता है
ये ज़िन्दगी का पेड़ है.
ये हजारों रंग बदलता है
ये इन्सान से कम नहीं , जो हालात के साथ बादल जाता है
उस पर जब हरी हरी पत्तियां भर जाती हैं
उसका यौवन खिल उठता है
जब उसके पास गुलरों की भरमार होती है
वो हवा में अठखेलियाँ करता है.
उसके पास आने वालों का मेला लगा रहता है.
हजारों राही उसकी छावं में आराम करते हैं..
सैकड़ो पंछी ,रंग बिरंगे
उस पे झूलते हैं ..उस से कुछ लेने को तत्पर दिखते हैं
दिन रात उसका साथ निभाते हैं.
पीपल का पेड़ सबको अपना समझ इतराता सा दिखता है.
आज सर्दियों में इसकी पत्तियां पिली पड़ गयी हैं.
एक हवा के झोंके के साथ सैकड़ो पत्तियां गिर जाती हैं.
जितना वह संवरा हुआ था, उतना ही उजड़ता जा रहा है
आज ठूंठ सा खड़ा है.. सुनी सुनी आँखों से घूर रहा है
मानो अतीत में हो , यादों के सिवा उसका कोई नहीं
आज उस पर एक भी पंछी नहीं है.
एक भी राही उसकी तरफ नहीं देखता
सब उसका साथ छोड़ चुके हैं
कोई नज़र भी आता है तो काम से ..
इस पेड़ को देख कर ज़िन्दगी का माने कितने करीब से समझ पाया
सभी इन्सान एक पीपल का पेड़ होते हैं
उसकी हरियाली में सब उसके पास होते हैं
उजड़ जाएँ जहान , गम झा जाए , तो सभी छोड़ जाते हैं.
C@Anand Rathore from school diary
शुक्रवार, 31 अगस्त 2012
मंगलवार, 28 अगस्त 2012
Jo nahi jaanta 5 rupye ki kimat Wo mere desh ke shighasan pe baithne ka haq nahi rakhta…
Kichad se hota huya wo 2 kilometer chal ke
bus stop be pahunchta hai.
Paseene se ladfad
jeb mein haath dalta hai..muskurata hai ..5 rupye bachcha liye.
AC ki bus mein 25 rupye kiraya hai..
15 minute khada rahta hai dusri bus mein 20 rupye kiraya hai
Der se office pahunchta hai..
boss dandta hai.. wo jeb pe haath rakh ke muskrurata hai.. 5 rupye bacha liye
Dopahar ko ek roti kam khata hai..
pet pe haath rakh ke muskurata hai- 5 rupye bacha liye
Dost ki khusamad karta hai.. aur (2.50 ) dhayi rupye.. sham ki chai ke aur bach gaye…
17.50- saadhe satra rupye bachahye hain aaj usne..
Aaj wo vada nibhayega…sham ko leke jaayega munne ki mithayi..
Aam aadmi ko itne kareeb se jo nahi janta…
Jo nahi jaanta 5 rupye ki kimat
Wo mere desh ke shighasan pe baithne ka haq nahi rakhta…
c@anand rathore
jeb mein haath dalta hai..muskurata hai ..5 rupye bachcha liye.
AC ki bus mein 25 rupye kiraya hai..
15 minute khada rahta hai dusri bus mein 20 rupye kiraya hai
Der se office pahunchta hai..
boss dandta hai.. wo jeb pe haath rakh ke muskrurata hai.. 5 rupye bacha liye
Dopahar ko ek roti kam khata hai..
pet pe haath rakh ke muskurata hai- 5 rupye bacha liye
Dost ki khusamad karta hai.. aur (2.50 ) dhayi rupye.. sham ki chai ke aur bach gaye…
17.50- saadhe satra rupye bachahye hain aaj usne..
Aaj wo vada nibhayega…sham ko leke jaayega munne ki mithayi..
Aam aadmi ko itne kareeb se jo nahi janta…
Jo nahi jaanta 5 rupye ki kimat
Wo mere desh ke shighasan pe baithne ka haq nahi rakhta…
c@anand rathore
शुक्रवार, 24 अगस्त 2012
Chehre pe chehra
Chehre pe chehra.. ek do teen
chaar.. anginit chehre…
kuch pahne huye hain… kuch
rakhe huye hai…
jab jahan jaisi zarurat ..sabke
liye hai ek chehra..
in chehron ke neeche daba kho gaya asli chehra
c@anand Rathore
शुक्रवार, 17 अगस्त 2012
रविवार, 5 अगस्त 2012
अन्ना का आन्दोलन विफल होने का अर्थ है , गाँधी की मौत !
आज गांधी का श्राद्ध कर देते हैं, नाथूराम ने तो गाँधी के शरीर को मारा था, आज गाँधी की आत्मा मर गयी है. ये लोग जो सत्ता में बैठे हैं, जो अपने आगे पीछे गाँधी लगा के बैठे हैं. इन लोगों ने गाँधी की उस सोच , उस विचारधरा में हमारे विश्वास को मार दिया. ये अहिंसा और सत्याग्रह , ये सोच ही तो असली गाँधी है. उसी को नकार कर, उसकी अनदेखी कर के आज इन्होने
गाँधी को मार डाला.
अब चाणक्य की निति चलेगी. साम -दाम -दंड -भेद , सब चलेगा. ये डाल- डाल हम पात -पात होंगे.
राजनीती की राह इतनी आसान नहीं होगी. क्यूंकि इस देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ जात पात दिखाई देता है. फिर भी आशा है , अगर देश की सोती हुयी जनता एक बार भी जाग गयी , तो हमारी जीत होगी.
अब चाणक्य की निति चलेगी. साम -दाम -दंड -भेद , सब चलेगा. ये डाल- डाल हम पात -पात होंगे.
राजनीती की राह इतनी आसान नहीं होगी. क्यूंकि इस देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ जात पात दिखाई देता है. फिर भी आशा है , अगर देश की सोती हुयी जनता एक बार भी जाग गयी , तो हमारी जीत होगी.
शुक्रवार, 3 अगस्त 2012
गुरुवार, 2 अगस्त 2012
अनसन नहीं अब रण होगा जंतर मंतर बहुत हुआ , अब अगला अड्डा परिलिअमेंट होगा .
अनसन नहीं अब रण होगा
जंतर मंतर बहुत हुआ , अब अगला अड्डा परिलिअमेंट होगा .
शनिवार को आन्दोलन से वापस आया तो अरविन्द केजरीवाल की हालत देख कर दुखी हुआ. सरकार की मनसा साफ़ झलक रही थी. बहुत सोचा और सोमवार को कुमार विश्वास को ये सन्देश भेजा . आज जंतर मंतर पर जो हुआ लगता है सब यही चाहते हैं और यही रास्ता भी बचा है. आप क्या राय रखते हैं , ज़रूर बताइए.
प्रिय कुमार विश्वास
अभी आन्दोलन के बारे में सोच रहा था की मुझे एक ख्याल आया, इन चोरों से इन्ही के खिलाफ क़ानून बनवाने की मांग ठीक वैसे ही है , जैसे भैंस के आगे बिन बजाना, ये डरेंगे , घबराएंगे , लेकिन करेंगे कुछ नहीं. फिर समाधान क्या है? इनका सफाया ही समाधान है . सत्ता से सम्पूर्ण रूप से इनका सफाया. और इसके लिए हमे २०१४ के चुनाव तक इंतज़ार करना पड़ेगा.
हमे थोड़ा गहराई से सोचने की ज़रूरत है और उसी हिसाब से निति बनाने की ज़रूरत है. मैं राजनीति में जाने के खिलाफ हूँ , लेकिन इस बात से इनकार नहीं करता की राजनीती में अच्छे लोगों का आना ज़रूरी है. अच्छे लोग होंगे तो जनता की सुनेगे. मान लीजिये २०१४ के चुनाव में कांग्रेस का सफाया भी कर दिया तो कोई और सरकार आएगी , वो हमसे डरेगी ज़रूर लेकिन कोई गारेंटी नहीं है की भ्रष्टाचार नहीं करेगी.
हमे रणनीति बनानी होगी , हमारा लहू पानी नहीं है जो बलिदान भी हो जाए और अंजाम तक भी न पहुंचे. मुझे पुरा यकीं है ये सरकार कुछ करने वाली नहीं है. आदमी कितना भी गिरा हो उसे आप कहें खुद फांसी का फंदा अपने गले में लगा ले , वो कभी ऐसा नहीं करेगा , फिर ये आदमी नहीं दरिन्दे हैं. इस तरफ टकराव की स्थिति आएगी और मुझे डर है जनता का नुकसान हो सकता है.
हमे इस दीप को जलाये रखना होगा २०१४ तक , इनके अंत की तैयारी करते रहनी होगी. चुनाव में इनका एक भी आदमी जितने न पाए . लेकिन हमे सुनिश्चित करना होगा , की इनकी जगह जो लोग चुन कर आयें , जो सरकार बने , अच्छी बने. इस तरफ हमे सोचने की ज़रूरत है. आज अनसन को ६ दिन हो गए. ये अन्दर से डरे हुए तो हैं , लेकिन कोई फैसला नहीं करेंगे . आप सब हमारे लिए बहुमूल्य हैं. देश के लिए बलिदान देने से मुझे डर नहीं , लेकिन हमारी लडाई गोरों से नहीं , काले अंग्रेजों से है. धूर्त , मक्कारों से है.. हमे चाणक्य निति की ज़रूरत है , नहीं तो हमारा बलिदान बेकार जाएगा. शहीद भगत सिंह के बम से अँगरेज़ दहले थे, लेकिन गाँधी जी के सोची समझी निति और सत्याग्रह आन्दोलन ने उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया. बलिदान की भावना होनी ज़रूरी है लेकिन विवेक के साथ हो तो कामयाबी ज़रूर मिलेगी.
हमे मिलकर सोचना होगा , और हर मोर्चे पर सबका विश्वास लेकर एक निति बना के काम करना होगा. कहीं गरम , कहीं नरम होना होगा . तभी हम कामयाब हो पायेंगे.
कृपया सोचियेगा और आपस में सब से विचार कीजियेगा , मेरी कभी भी कहीं भी ज़रूरत हो तो मैं हाज़िर हूँ .
शुक्रिया
आपका शुभाकांशी
आनंद राठौर
शनिवार, 14 जुलाई 2012
Halla bol…. Huqa-paani band
Ye 20-30 gunde ..
aur ye choti moti khaap panchayaten
tumhare astitva ko chunavti nahi de sakti
tumhara astitva in se nahi…
inka astitva tumse hai.
Inka saans lena bhi tumse hai.
Halla bol…. Huqa-paani band .
Aurat ke samaj mein
Aaj se tum jaison ka huqqa paani band.
Koi tumhari khushu ..
tumhare maatam mein sharik nahi hoga.
Jis aurat ki abroo sare-raah uchaali hai tumne
Ab uss aurat ke saaye ko bhi tarsoge tum.
Ab koi aurat tumhare darwaze lakshmi ban ke nahi aayegi.
Sun lo khaap panchayeton
Sun lo safedposh kaale kamino.
Bina iss jeevan dayni devi ke dekhte hain
Kahan se bachega tumhara astitva.
शुक्रवार, 13 जुलाई 2012
Meri Aah pe waah waah sahi
Dard ko dava na mile, na sahi
Meri Aah pe waah waah sahi.
Mujhe rukna nahi bhata hai
koi manzil nahi, mujhe raah sahi.
Din ka suraj tum rakh lo
Mujhe mera chand aur raat syaah sahi.
Wo jhoothe begunah rahe
Mera sach gunaah sahi
Mere mitne mein hai mera banna
Main tabaah ..tabaah sahi.
c@anand rathore
Meri Aah pe waah waah sahi.
Mujhe rukna nahi bhata hai
koi manzil nahi, mujhe raah sahi.
Din ka suraj tum rakh lo
Mujhe mera chand aur raat syaah sahi.
Wo jhoothe begunah rahe
Mera sach gunaah sahi
Mere mitne mein hai mera banna
Main tabaah ..tabaah sahi.
c@anand rathore
सोमवार, 4 जून 2012
शुक्रवार, 25 मई 2012
Humaari aah pe waah waah hoti rahi
Copyright Bill gets Parliament nod
Ek Achchi khabar hai humari jaat walon ke liye
Likhne walon ke liye , gaane walon ke liye
Copyright bill loksabha mein paas ho gaya.
Lekin iss deri ki vajah kya thi?
Tum bhi suno, Taaliyan bajane walon ,
humare geet gungunaane walon
Kya tum jante ho?
Humaari aah pe waah waah hoti rahi
Aayega aane wala – mashoor geet likhne wale Khemchand mar gaye
Unki patni Malad station pe bheekh mangti paayi gayi.
OP Nayyer to yaad honge
har aangan gali mein unke geet bajte hain
Mumbai ke Nala supara ki gandi basti mein
ek kamre mein bimari se mar gaye.
Hairat hoti hai ? abhi to aur bhi kisse hain.. aur bhi naam hain.
Majrooh , Shailendra, Gulam Mohammad.
Jinko unke chahne walo ne sir aankhon pe bithaye rakha
Iss desh ne unhe ghootan bhari zindagi di.
Jante hain kyun ? ye desh unke adhikar dila sake
Wo kanoon nahi bana paaya.
Dusre deshon ne kitni izzat bakshi hai fankaron ko
Aap sun ke andaza laga sakte hain.
Paul Mccartney , 27 geet likhe hain usne , use 16 million $ ki royalty mili
Elton John , jisne peechele paanch saalon mein kuch nahi kiya
Use 22 million $ ki royalty milti hai.
Gulzar, Javed , Prasoon aur tamam geetkar , sangeetkaar
Screen writers jinka naam aap garav se lete hain
Ye bonded labor ban ke rahe.
Majburi mein Karte rahe hastakshar un dastavejon par
Jo cheente rahe inke adhikar.
Aur ye desh dekhta raha …
Jeet to gaye hain aaj , lekin bahut kuch khone ke baad.
c@Anand Rathore
Ek Achchi khabar hai humari jaat walon ke liye
Likhne walon ke liye , gaane walon ke liye
Copyright bill loksabha mein paas ho gaya.
Lekin iss deri ki vajah kya thi?
Tum bhi suno, Taaliyan bajane walon ,
humare geet gungunaane walon
Kya tum jante ho?
Humaari aah pe waah waah hoti rahi
Aayega aane wala – mashoor geet likhne wale Khemchand mar gaye
Unki patni Malad station pe bheekh mangti paayi gayi.
OP Nayyer to yaad honge
har aangan gali mein unke geet bajte hain
Mumbai ke Nala supara ki gandi basti mein
ek kamre mein bimari se mar gaye.
Hairat hoti hai ? abhi to aur bhi kisse hain.. aur bhi naam hain.
Majrooh , Shailendra, Gulam Mohammad.
Jinko unke chahne walo ne sir aankhon pe bithaye rakha
Iss desh ne unhe ghootan bhari zindagi di.
Jante hain kyun ? ye desh unke adhikar dila sake
Wo kanoon nahi bana paaya.
Dusre deshon ne kitni izzat bakshi hai fankaron ko
Aap sun ke andaza laga sakte hain.
Paul Mccartney , 27 geet likhe hain usne , use 16 million $ ki royalty mili
Elton John , jisne peechele paanch saalon mein kuch nahi kiya
Use 22 million $ ki royalty milti hai.
Gulzar, Javed , Prasoon aur tamam geetkar , sangeetkaar
Screen writers jinka naam aap garav se lete hain
Ye bonded labor ban ke rahe.
Majburi mein Karte rahe hastakshar un dastavejon par
Jo cheente rahe inke adhikar.
Aur ye desh dekhta raha …
Jeet to gaye hain aaj , lekin bahut kuch khone ke baad.
c@Anand Rathore
शनिवार, 19 मई 2012
शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012
रविवार, 8 अप्रैल 2012
ab wo sabko dikhayi deta hai khud andheron mein rahta hai.
Andheron ke desh mein noor aaya.
uski tez roshni koi dekh na saka
noor ne apni roshni ko thoda kam kiya
sirf kuch log hi usse dekh paaye
fir Noor ne apni roshni ko aur kam kiya
kuch aur logon ne usse dekha
fir usne apni roshni ko bahut kam kiya
ab wo sabko dikhayi deta hai
khud andheron mein rahta hai.
uski tez roshni koi dekh na saka
noor ne apni roshni ko thoda kam kiya
sirf kuch log hi usse dekh paaye
fir Noor ne apni roshni ko aur kam kiya
kuch aur logon ne usse dekha
fir usne apni roshni ko bahut kam kiya
ab wo sabko dikhayi deta hai
khud andheron mein rahta hai.
सोमवार, 2 अप्रैल 2012
Hume javab chahiye
humare fauzi javan sarhadon pe din raate jagte hain
to hum befikar sote hain.
aaj mujhe unki fikar ho rahi hai
kyunki ek chitti aayi hai
uss chitti mein likha hai
humare javano ke haath mein
jung lagi banduke hain
aaj charcha garam hai har taraf
sansad mein bahas zari hai
CBI ye jaane mein masroof hai
chitthi kaise leak huyi
kisne kisko riswat ki peshkash ki?
Media TRP badhane , news chalane mein masgul hai
kisi ko desh ki chinta nahi hai
koi General ko kosh raha hai
koi istifa maang raha hai
lekin hume javab chahiye
ye desh sarkar se javab mangta hai
ki agar chitti mein likhi baat sach hai
to hum kitne surakshit hain.
hume javab chahiye ...
hume tumhari niyat pe shaq hai
aur hum sochne pe majboor hain.
kahin tum hume 26 January ki parade mein
topon ke khali khokhe to nahi dikhate rahe...
Rangin jhankiyon ke beech
hume jung lagi banduke dikhaate rahe
hawaon mein dhuyen se tirnga banate rahe.
Aur hum bekhabar taliyan bajate rahe
bahut ho gaya..hum bahut khamosh rahe
mumbai mein nakli builet proof jacket pahan ke
shaheed ho gaye zabaanz
aur tum humari coffin bech ke khaate rahe
bahadur pilot plane crash mein marte rahe
aur tum dalali khaa ke pet bharte rahe.
Hume javab chahiye …. Bande matram
c@anand rathore
A drop of ink, makes million think
रविवार, 18 मार्च 2012
शुक्रवार, 16 मार्च 2012
kabhi chai , kabhi coffee
kabhi chai , kabhi coffee
kabhi ek bublegum.. kabhi ek toffee.
aise hi shuru huya tha apna rista
table ke is paar tum uss paar main
aur beech mein cup se uthta dhuyan pyar ka
garam garam chai ke uthte dhuyen mein hum dono khoye khwab sajaya karte the
chuskiyon ki garmahat , rooh ko pighla deti thi.
tum sach bahut sundar ho.
ye kya hai...? wo kya hai?
aaj kal inhi sawalon se mera ghar goonjta hai..
hairaan aankhon ka naya tamasha din raat chalta hai.
hairat bhari nigaon se jab chand ko dekhte huye
wo mujhse poochti hai...ye kya hai?
main muskurata hoon , kahta hoon.
wo tumhari maa hai.
to kabhi wo maa ka chehra dekhti hai , kabhi chand ka.
wo bholi si muskaan liye kahti hai , sundar hai...
mujhe pata nahi , uske nanhe se dil ne kya socha ..
lekin main janta hoon,
tum sach bahut sundar ho.
aaj kal inhi sawalon se mera ghar goonjta hai..
hairaan aankhon ka naya tamasha din raat chalta hai.
hairat bhari nigaon se jab chand ko dekhte huye
wo mujhse poochti hai...ye kya hai?
main muskurata hoon , kahta hoon.
wo tumhari maa hai.
to kabhi wo maa ka chehra dekhti hai , kabhi chand ka.
wo bholi si muskaan liye kahti hai , sundar hai...
mujhe pata nahi , uske nanhe se dil ne kya socha ..
lekin main janta hoon,
tum sach bahut sundar ho.
मंगलवार, 13 मार्च 2012
shyad padhe likhe chasmon se dhai aksar nahi dikhta.
bahut padh likha gaye hain log
apne siwa kuch nahi dikhta
shyad padhe likhe chasmon se
dhai aksar nahi dikhta.
thandhe ho gaye hain dil... romaniyat mar rahi hai.
ab chand ko koi mahboba nahi kahta.
bister pe jitni jaldi jaate hain..utni jaldi utar aate hain
subah tak chehra bhi yaad nahi rahta.
nigahon ka jaadu , adaayon ki kashish
hawas ke andhon ko kuch nahi dikhta.
makaan to bana liye sabne
uss mein koi ghar nahi rakhta.
Mahfilon mein thahake har baat pe lagte hain
jaane kyun wo ghar mein nahi hansta.
bachche robot se khelte huye be-zazbaati ho rahe hain
wo apne ghar mein budhi naani nahi rakhta.
koi TV ka remote , koi akhbar , koi laptop liye
ek chat ke neeche hai lekin koi saath nahi rahta.
karobaar mein khoob riste banate hain...
zindagi mein ek bhi rista nahi tikta.
desh ke neeta vadon ki roti senkte hain
gareeb ke ghar chulah bhi nahi jalta.
qyaamat ke asraat mein main bhi jod deta hoon
qyamat nazdik hai, kisaan kheton mein khush nahi dikhta.
c@Anand Rathore
apne siwa kuch nahi dikhta
shyad padhe likhe chasmon se
dhai aksar nahi dikhta.
thandhe ho gaye hain dil... romaniyat mar rahi hai.
ab chand ko koi mahboba nahi kahta.
bister pe jitni jaldi jaate hain..utni jaldi utar aate hain
subah tak chehra bhi yaad nahi rahta.
nigahon ka jaadu , adaayon ki kashish
hawas ke andhon ko kuch nahi dikhta.
makaan to bana liye sabne
uss mein koi ghar nahi rakhta.
Mahfilon mein thahake har baat pe lagte hain
jaane kyun wo ghar mein nahi hansta.
bachche robot se khelte huye be-zazbaati ho rahe hain
wo apne ghar mein budhi naani nahi rakhta.
koi TV ka remote , koi akhbar , koi laptop liye
ek chat ke neeche hai lekin koi saath nahi rahta.
karobaar mein khoob riste banate hain...
zindagi mein ek bhi rista nahi tikta.
desh ke neeta vadon ki roti senkte hain
gareeb ke ghar chulah bhi nahi jalta.
qyaamat ke asraat mein main bhi jod deta hoon
qyamat nazdik hai, kisaan kheton mein khush nahi dikhta.
c@Anand Rathore
kahin wo mujh mein to nahi rahta.
wo dariya sa bahta rahta hai
jheel sa thahra nahi rahta.
uska mizaaz suhaani shaam sa hai
wo din raat sa nahi lagta .
sota nahi hai shayad raat bhar
wo bistar ki silwaton mein subah nahi milta.
main kuch nahi kahta ..wo kuch nahi kahta.
wo ajnabi , jaane kyun ajnabi nahi lagta.
har pal apni mauzudgi darz karata hai
kahin wo mujh mein to nahi rahta.
jheel sa thahra nahi rahta.
uska mizaaz suhaani shaam sa hai
wo din raat sa nahi lagta .
sota nahi hai shayad raat bhar
wo bistar ki silwaton mein subah nahi milta.
main kuch nahi kahta ..wo kuch nahi kahta.
wo ajnabi , jaane kyun ajnabi nahi lagta.
har pal apni mauzudgi darz karata hai
kahin wo mujh mein to nahi rahta.
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