मंगलवार, 24 अगस्त 2010

ये जितनी भी है गुफ्तगू , ये जितने भी सलाम हैं।
ये शोखियाँ , अदाएं , ये जो मोहब्तों के जाम हैं ।
ये सलीका है जहान का , यहाँ सबके पीछे काम है।

मैंने कुछ किया नहीं, पर शोहरत मेरी हो गयी।
ये राज तू भी जान ले, इसके पीछे तेरा नाम है।

सौदागर हैं सारे यहाँ, ये दुनिया एक बाज़ार है।
बिकती है हर शय यहाँ, सबका यहाँ पर दाम है।

एक खुदा का नूर है , मुझ में भी तुझ में भी ।
तू तू मैं मैं के लिए कहीं आल्हा , कहीं राम है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सौदागर हैं सारे यहाँ, ये दुनिया एक बाज़ार है।
    बिकती है हर शय यहाँ, सबका यहाँ पर दाम है।


    -बहुत बढ़िया.

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