तुझे अश्यार अच्छे लगते थे ना।
आके देख , आज गजलों की किताब हो गया हूँ।
तू उलझती थी उन् दिनों मुझे समझने में।
आके देख एक आसान सा हिसाब हो गया हूँ।
तेरे हर सवाल पे मैं रहा हमेशा खामोश।
आके देख तेरे हर सवाल का जवाब हो गया हूँ।
मुझ ज़रे को तुने ही फूंका था।
आके देख जलते जलते आफताब हो गया हूँ।
मुझ ज़रे को तुने ही फूंका था।
जवाब देंहटाएंआके देख जलते जलते आफताब हो गया हूँ
क्या गज़ब लिखा है. बहुत खूब.
शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंThat's the spirit !...Keep it up !
जवाब देंहटाएंYes, you're right!'thanks
जवाब देंहटाएंपहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
thanks...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .
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