शनिवार, 28 अगस्त 2010

जनता हूँ, आज रात फिर सब आयेंगे ,
बीते दिन, मीठी यादें , कडवी बातें ,
बस नींद नहीं आएगी।
खुली आँखों में सपने लेके पलकें नम हो जाएँगी।
सुबह दुनिया का दस्तूर निभाने मैं जब बहार जाऊंगा ,
मेरी आँखें देख शहर में कितनी बातें हो जाएंगी।

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