शनिवार, 9 अक्टूबर 2010

प्रेम प्याला

प्याले प्रेम के पी लो , मैं बेमोल देता हूँ।
लुटता हूँ हंसी और आंसूं मोल लेता हूँ।

बहुत कडवी हो जाती है ज़िन्दगी जब उजालो में
मैं चुपके से उस में अँधेरा घोल देता हूँ।

बंद होते ही दुनिया के सारे दरवाज़े
मैं अपने घर के दरवाज़े- खिड़की खोल देता हूँ।

मेरे खामोश रहने की वजह है बड़ी यारो
बड़ा बवाल होता है, मैं जो सच बोल देता हूँ।

हर हाल में दिल मेरा एक सा ही रहता है
ख़ुशी गम को अब एक साथ तौल देता हूँ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लिखा है बन्धु !!!!!!
    एक नजर इधर भी देखें

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  2. सुंदर प्रस्तुति....

    नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

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  3. मेरे खामोश रहने की वजह है बड़ी यारो
    बड़ा बवाल होता है, मैं जो सच बोल देता हूँ।
    सच कडवा होता है इस लिये ववाल होता है। सुन्दर पेअस्तुति। बधाई।

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  4. मेरे खामोश रहने की वजह है बड़ी यारो
    बड़ा बवाल होता है, मैं जो सच बोल देता हूँ।

    हर हाल में दिल मेरा एक सा ही रहता है
    ख़ुशी गम को अब एक साथ तौल देता हूँ।

    bahut khub...

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  5. मैं चुपके से उसमें अँधेरा घोल देता हूँ. बहुत खूब!

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