सोमवार, 18 अक्टूबर 2010

प्रेमचंद कौन है ? उसका बायोडाटा लाओ.


प्रेमचंद कौन है ? उसका बायोडाटा लाओ.

सिगरेट का झल्ला उड़ाती . ब्रांडेड इतर में महकती , लहराती हुयी वो आती है , अंग्रेजी बोलती है ऐसे जैसे हिंदुस्तान से उसका कुछ लेने देना नहीं है. .. माहोल को खुशनुमा और आरामदेह कैसे बनाना है उसे बहुत अच्छे से आता है... साथ ही अपना रुतबा कैसे दिखाना है वो बखूबी जानती है... और आपको ये बताना नहीं भूलती की उसने बड़ी मुश्किल से वक़्त निकला है... सारी दुनिया का काम उसी के ऊपर है. नपे तुले शब्दों और बीच बीच में मजाक करते हुए आपको छोटा दिखाने में उसे महारत हासिल है. ..बड़े से बड़े आत्मविश्वासी को चित करना उसके बाएं हाथ का खेल है... अपनी कजरारी आँखों से एक बार घूर के देख लेती है ..आपकी नज़रों से नज़रे नहीं हटाती और सामने वाला उसकी हाँ में हाँ मिलाये जाता है...दिमाग और दिल को गुलाम बना लेने में माहिर खिलाडी है वो...

उसके हाथ में हिंदुस्तान की जनता को क्या देखना चाहिए और क्या नहीं...इतना बड़ा फैसला लेना का अधिकार है... ये विदेशी चैनल में बैठी एक हिन्दुस्तानी लड़की है ... जिसे कंटेंट हेड के नाम से लोग जानते हैं ... आज मिस्टर एक्स वाई जेड , एक बेहतरीन लेखक है , उनकी इस लड़की के साथ मीटिंग है... थोड़ी बहुत इधर उधर की बातें और फिर लड़की पूछती है , कहानी क्या है... ? कहानी सुनानी अंग्रेजी में है ..बनेगी हिंदी में ... मिस्टर एक्स वाई जेड कहानी सुनाते हैं .. बीच बीच में वो बोलती जाती है.. उसे कहानी बहुत अच्छी नहीं लग रही ..क्यूंकि उसे चाहिए कुछ हटके ... चाहे नाटक की नायिका की पच्चास शादियाँ क्यूँ न दिखानी हो... अचानक वो बीच में कुछ बोल पड़ती है , लेखक समझ जाता है और अपनी कहानी का वजन बढ़ाने के लिए बोल पड़ता है... वो जनता है , कहानी बेचने के लिए क्या ट्रिक इस्तेमाल करनी है...वो बोलता है.. मैडम हमारी कहानी , प्रेमचंद की कहानी से इंस्पायर है... लड़की एक दम से उन्हें रोक देती है... उन्हें समझ नहीं आता क्यूँ? मैं बताता हूँ ... वो बोलती है , कि ये प्रेमचंद कौन है? लेखक कुछ बोले कि वो बोलती है उसका बायोडाटा लाओ... लेखक अवाक रह जाता है .. लेकिन बोलता नहीं... वो बोलती है ... टेल मी हु इज प्रेमचंद? लेखक - वो हमारे देश के महान उपन्यासकार हैं... कहानी सम्राट हैं... लड़की ..ओह आई सी ... आप उसका बायोडाटा लगा दो... प्रोजेक्ट उम्दा हो जायेगा... लेखक अपनी दाल रोटी चलाने के चक्कर में चुप है , लेकिन इतना भी गिरा नहीं है की वो प्रेमचंद का अपमान सहता ..उठ जाता है .. और बस दो टुक बोलता है ... माफ़ करना ये कहानी आपके चैनल के लिए बेकार है.... लड़की को अच्छा नहीं लगता... उसकी अदाएं जाहिर करती हैं , कि आपकी एंट्री इस चैनल में बंद समझिये...लेखक उठ कर चला जाता है...

सेट पर शूटिंग चल रही है... बाईस साल कि एक सुन्दर सी लड़की सेट पर आती है.. डिरेक्टर को बुलाती है... दोनों हाथ मिलाते हैं... लड़की शूटिंग का हाल चाल पूछते हुए सिगरेट जला लेती है... शुद्ध अंग्रेजी में बोलती है... आपको सीन समझ में आ गए हैं न... ? डिरेक्टर हाँ में जवाब देता है.. लड़की बोलती है... हेरोइन और हीरो के कपडे के बारे में... सेट के पर्दों और फर्नीचर के रंगों के बारे में .डिरेक्टर का दिमाग चकरा रहा है... कहानी , सीन में क्या होगा उस से उसे कुछ लेना देना नहीं है..और वो आई है सीन समझाने के लिए .. हाँ हाँ करता हुआ डिरेक्टर उसके जाने का इंतज़ार करता है ..लेकिन वो बैठ जाती है...सीन शुरू होता है... डिरेक्टर के कट बोलने से पहले ही वो कट बोल देती है... इसलिए कि लड़की के हेयर स्टाइल ठीक नहीं है... डिरेक्टर अन्दर जाता है... अपने बैग से शराब कि एक बोतल निकलता है , निगलता है.. अपने असिस्टेंट को बुलाता है.. उसे गलियां देता है... और फिर शूटिंग शुरू हो जाती है...

करोडो रुपये कि छतरी लगा कर ..देश में धंदा करने वाले चैनल में ऐसे लोग काम करते हैं... जिन्हें हिंदी कि समझ नहीं , वो हिंदी का नाटक बनाते हैं... ये निर्धारित करते हैं कि हिंदी भाषा बोलने वाली जनता को क्या दिखाना है.. जिन्हें पता नहीं भारतीय संस्कृति क्या है , वो हमे बताते हैं कि हमे क्या देखना है... प्रेमचंद का बायोडाटा मांगने वाली लड़की चैनल का कंटेंट डिसाईड करती है ... मीडिया एक बहुत ताकतवर माध्यम है और उस पर ऐसे ही लोगों का कब्ज़ा है ..अब आप समझ सकते हैं .. हमारे समाज कि थाली में क्या परोसा जायेगा...इसका असर दिखने में वक़्त नहीं लगता... ज़रा संभल के... टी आर पी के चक्कर में तो हद्द ही हो गयी है... न्यूज़ चैनल का तो और भी बुरा हाल है... ये रिपोर्टिंग कि जगह review ज्यादा करते हैं और वो भी टी आर पी दिमाग में रख कर...उन्हें इस से कोई सरोकार नहीं उनकी खबर का क्या होगा असर...

सच कहूँ .. अगर एक सिरफिरा कहे कि मुझे एक atom बोम्ब दे दो मैं देश को गुलाम बना दूंगा ..मैं नहीं मानुगा... लेकिन कोई सिरफिरा कहे कि मुझे अपने देश का मीडिया दे दो... तो मुझे कोई शक नहीं , कि देश को गुलाम बनाने , देश को युद्ध के दलदल में ले जाने में उसे ज़रा भी परेशानी नहीं होगी... हमारी सोच पर कब्ज़ा करती है ये मीडिया ... और सोच गुलाम हुयी तो कुछ भी हो सकता है...

प्रेमचंद का बायोडाटा मांगने वाली , और हिंदी कहानी में सिर्फ कपड़ो का रंग देखने वाली लड़कियों से सावधान .... देश भक्ति के नाम पर , कभी भावनायों के नाम पर आपको गुमराह करने वाले न्यूज़ चैनल से सावधान ... इन पर लगाम नहीं लगायी गयी तो ...आप सोचते रहिये...आपका बच्चा कल लय गुल खिलायेगा...

8 टिप्‍पणियां:

  1. बात तो आपकी सोलह आने सच है | ये मिडिया पता नहीं क्या क्या परोसेगा अभी !!

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  2. 6.5/10


    एक आवश्यक पोस्ट / पठनीय
    तल्खी लिए धारदार असरदार लेखन

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  3. बहुत ही विचारणीय प्रस्तुति ..... बधाई...

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  4. अभी इमेजिन पर राखी का इंसाफ देखिये आपको इस मिडिया में बैठे कार्यक्रम निर्देशकों के दिमागी खोखलापन और व्यवसायिकता की नीचता का अंदाजा लग जायेगा ...ये लोग मिडिया नाम को पूरी तरह ख़त्म कर चुके हैं और पता नहीं ये क्या-क्या गुल खिलायेंगे ..मुझे कम से कम इमेजिन से ऐसी उम्मीद नहीं थी ...सरकार की निगरानी व्यवस्था तो इस देश में है ही नहीं ..

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  5. प्रेमचंद को तो खैर बहुत से लोग नहीं जानते.....अब तो लोग लाल बहुदर शास्त्री पर भी पूछते है ......कौन ?

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  6. अपने विचार देने के लिए सभी को शुक्रिया ...अनुराग जी आपकी बात बिलकुल सही है ..लेकिन ये ठीक वैसा ही है जैसे आप अपने हॉस्पिटल के सेनियर डॉक्टर को कहें कि कौन है ये?

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  7. Anand जी नमस्कार ! बहुत ही सार्थक लेखन हैँ आपका। चैनल वाले TRP को बढ़ाने के चक्कर मेँ कुछ भी परोस सकते हैँ। आप मेरे ब्लोग पर आये , आपका बहुत-बहुत शुक्रिया । -: VISIT MY BLOG :- पढ़िये इस बार रचना (गीत) ......... मेरा आया यौवन , मेरा घुंघटा उठा दे रे । यहाँ क्लिक कीजिए

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  8. अभिव्यक्ति का यह प्रभावी ढंग अच्छा लगा..... विषय तो अच्छा है ही.....

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