Akela Hi Sahi
शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010
दर्द की फसल
उग आई है दर्द की फसल
लगेगी उन पे अब अच्छी ग़ज़ल ।
मचलते हुए आंसू हँसेंगे
अब दिल जायेगा बहल।
बंद कर कमरा आनंद
सारी दुनिया में टहल।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें